लोककथा संग्रह

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लोककथ़ाएँ कबूतर : कश्मीरी लोक-कथा संध्या का समय हो चला था। महल के दीपक पंक्ति में रखे हुए टिमटिमा रहे थे। आती – जाती हवा में उनकी लौ लहरा रही थी। ...

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